इस कविता के माध्यम से मैं मातृभूमि के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करना चाहती हूँ| इस कविता के माध्यम से मैं मातृभूमि के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करना चाहती हूँ| ...
तेरी क्षमा अब कैसे स्वीकरुं, आत्मसम्मान को कैसे धिक्कारूं मस्तिष्क और मन को कैसे समझा तेरी क्षमा अब कैसे स्वीकरुं, आत्मसम्मान को कैसे धिक्कारूं मस्तिष्क और मन क...
सीखूँ कैसे ? छंद मैं लूँ कैसे ? सृजन का आनन्द मैं? सीखूँ कैसे ? छंद मैं लूँ कैसे ? सृजन का आनन्द मैं?
जब एक लड़की कुछ कहती है तब भी गलत, नहीं कहती फिर भी गलत| इस पर ये कविता व्यंग्य है समाज पर .... जब एक लड़की कुछ कहती है तब भी गलत, नहीं कहती फिर भी गलत| इस पर ये कविता व्यंग्य ह...
मैं बिखर जाऊँगा, गर तू, ना मिली मुझे मैं बिखर जाऊँगा, गर तू, ना मिली मुझे
तुम्हारे होने से, मुझे... खुद के होने का... एहसास होता है… तुम्हारे होने से, मुझे... खुद के होने का... एहसास होता है…