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हे मातृभूमि भूल कैसे जाऊं मैं सीखूं छंद मैं कहूँ मैं कैसे? nirbhaya metoo दिलरूबा जाऊँगा पाऊँगा तुम्हारा सानिध्य ….

Hindi मैं तुम्हारा भार कैसे चुका पाऊँगा| Poems